Wednesday, May 2, 2012

me without us....


क्या हो जो तुम ना भी मिलो तो.....  जीना तो फिर भी है.... बस एक कमी रह जाएगी..... एक कसक बाकि रह जाएगी.... हर बार जब भी ख्यालों में आके मुस्कुराओगे तो आँखों में एक नमी सी आ जाएगी .... चलता है, ज़िन्दगी है जैसे भी चल ही लेगी .... क्या हुआ अगर थोडा कम हसेंगे तो ... और अगर थोडा ज्यादा रोए तो ..... ज़िन्दगी बेचारी भी कितना हिसाब रखे और ग़म और ख़ुशी बराबर बाटें .... थोड़े ज्यादा ग़म जान थोड़े ही लेंगे.... उनका भी अपना मज़ा है... सच पूछो तो पता नहीं क्यों ऐसा महसूस होता है की तुम्हारा ग़म भी हमे और बेहतर बनाता जा रहा है.....  वरना लोग खुद साथ रह कर भी कुछ अच्छा नहीं कर पाते और तुम तो जाते जाते भी हमे तरासे जा रहे हो..... जा तो रहे हो, पर जाने क्यों लगता है एक बार मुड़ कर देखोगे नज़र भर एक दिन.... और कदम खुद-ब-खुद वापस चल पड़ेंगे हमारी ओर.... और हम वही खड़े मुस्कुरा रहे होंगे जिंदगी को बाँहों में समेटे बिना किसी शिकायत के ... कोई शिकवा नहीं ना तुमसे ना जिंदगी से... क्या करे दोनों अपने हो और खुद से क्या गिला.... 



Tere bina zindagi se koyi, shikwa, to nahi, shikwa nahi, shikwa nahi, shikwa nahi
Tere bina zindagi bhi lekin, zindagi, to nahi, zindagi nahi, zindagi nahi, zindagi nahi
Tere bina zindagi se koyi, shikwa, to nahi 
         
Kaash aisa ho tere qadmo se, chun ke manzil chale aur kahi door kahi 
Tum gar saath ho, manzilon ki kami to nahi
Tere bina zindagi se koyi, shikwa to nahi 
         
Jee mein aata hai, tere daaman mein, sar jhuka ke ham rote rahe, rote rahe 
Teri bhi aankho mein, aansuo ki nami to nahi 

Tere bina zindagi se koyi, shikwa, to nahi,
shikwa nahi, shikwa nahi, shikwa nahi
Tere bina zindagi bhi lekin, zindagi, to nahi,
zindagi nahi, zindagi nahi, zindagi nahi 
         
Tum jo keh do to aaj ki raat, chaand doobega nahi, raat ko rok lo 
Raat ki baat hai, aur zindagi baaki to nahi 

Tere bina zindagi se koyi, shikwa, to nahi.....


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